मध्य प्रदेश: परोपकार की भावना से ओतप्रोत, सेवाभावी नागरिक और 'रक्तवीर' के नाम से प्रसिद्ध अमित जैन ने हाल ही में अपना 62वां रक्तदान पूर्ण कर समाज के सामने एक अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किया है। यह उपलब्धि उन्हें रक्तदान के 'शतक' की तरफ तेज़ी से आगे बढ़ा रही है, जो अपने आप में एक प्रेरणास्रोत है।
निरंतर सेवा का संकल्प
विगत कई वर्षों से रक्तवीर अमित जैन बिना किसी स्वार्थ के निरंतर रक्तदान करते आ रहे हैं। उनका मानना है कि रक्तदान महादान है और यह पीड़ितों तथा असहायों की सेवा का सबसे सीधा और सच्चा माध्यम है। इस पुनीत कार्य के विषय में अपने अनुभव साझा करते हुए जैन बताते हैं, "मैं पीड़ितों एवं असहायों की सेवा के लिए निरंतर रक्तदान करता रहता हूँ और इसमें मुझे कोई कमजोरी, कोई दिक्कत नहीं आती।"
समाज में अक्सर रक्तदान को लेकर भ्रांतियां और भय का माहौल रहता है, लेकिन अमित जैन अपनी सक्रियता और स्वास्थ्य के माध्यम से इन सभी आशंकाओं को निराधार सिद्ध करते हैं। वह शारीरिक रूप से पूर्णतः स्वस्थ और ऊर्जावान हैं, जो यह साबित करता है कि रक्तदान एक सुरक्षित और जीवनदायिनी प्रक्रिया है।
'जियो और जीने दो' का धेय्य
अमित जैन के जीवन का धेय्य (लक्ष्य) ही "जियो और जीने दो" के सिद्धांत पर आधारित है। इसी धेय्य को लेकर वह अपनी सेवाएं समाज को समर्पित करते रहते हैं। उनका मानना है कि जब तक शरीर में सामर्थ्य है, तब तक उन्हें दूसरों के जीवन की रक्षा के लिए इस अमूल्य योगदान को जारी रखना चाहिए।
वह समाज के सभी वर्गों से अपील करते हैं कि वे बगैर किसी डर के रक्तदान के लिए आगे आएं। जैन कहते हैं, "सभी अगर बगैर डरे रक्तदान करें तो समाज में रक्त की कोई भी कमी न रहे।" उनका स्पष्ट मत है कि यदि हर स्वस्थ नागरिक इस ज़िम्मेदारी को समझे, तो रक्त की कमी से किसी भी मरीज़ की जान नहीं जाएगी।
प्रभु की सच्ची सेवा
रक्तवीर जैन धार्मिक और सामाजिक दृष्टिकोण से भी रक्तदान को अत्यंत महत्वपूर्ण मानते हैं। वह कहते हैं, "सभी लोगों को पीड़ितों के लिए रक्तदान करते रहना चाहिए, क्योंकि यही प्रभु की सच्ची सेवा है।" उनके अनुसार, किसी ज़रूरतमंद को नया जीवन देना ही ईश्वर की सबसे बड़ी आराधना है।
अमित जैन का 62वां रक्तदान उनके समर्पण और दृढ़ संकल्प का प्रतीक है। वह न केवल खुद रक्तदान कर रहे हैं, बल्कि अपनी जीवनशैली और विचारों से समाज में रक्तदान के प्रति सकारात्मक सोच का निर्माण भी कर रहे हैं। उनके इस निस्वार्थ कार्य से प्रेरित होकर कई अन्य लोग भी रक्तदान के लिए प्रेरित हो रहे हैं।
रक्तवीर अमित जैन शीघ्र ही 75वें और फिर 100वें रक्तदान के आंकड़े को छूकर एक नया कीर्तिमान स्थापित करेंगे। उनकी यह यात्रा यह साबित करती है कि परोपकार और मानवता की सेवा ही जीवन का सर्वोत्तम उद्देश्य है।
0 टिप्पणियाँ