पुरुष स्तन कैंसर का पहला और अत्यंत दुर्लभ मामला सामने आया छतरपुर

पुरुष स्तन कैंसर का पहला और अत्यंत दुर्लभ मामला सामने आया छतरपुर

बुन्देली न्यूज़,
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छतरपुर, मध्य प्रदेश: छतरपुर जिले में चिकित्सा जगत के लिए एक अभूतपूर्व घटना सामने आई है, जहाँ पुरुष स्तन कैंसर का पहला और अत्यंत दुर्लभ मामला सामने आया है। 


यह घटना न केवल मध्य प्रदेश, बल्कि पूरे विश्व में "रेयरेस्ट ऑफ द रेयर" (दुर्लभतम घटना) के रूप में दर्ज की जा रही है, जो चिकित्सा विज्ञान के लिए एक महत्वपूर्ण "रेफरल केस" बनने की ओर अग्रसर है।
कैंसर रोग जांच विशेषज्ञ डॉ. श्वेता गर्ग ने बताया कि हाल ही में एक पुरुष में स्तन कैंसर का निदान हुआ है, जो दुनिया भर में लगभग 1 लाख पुरुषों में से केवल एक को होने की संभावना वाले इस दुर्लभ रोग की पुष्टि करता है। डॉ. गर्ग ने इस बात पर जोर दिया कि इस मामले को अंतरराष्ट्रीय प्रकाशनों के लिए भी भेजा जाएगा, ताकि चिकित्सा बिरादरी और आम जनता को इस असाधारण बीमारी के बारे में विस्तृत जानकारी मिल सके। उन्होंने इस केस को छतरपुर जिले के लिए एक सौभाग्य बताया, जो अब वैश्विक स्तर पर एक महत्वपूर्ण चिकित्सा संदर्भ बिंदु बनेगा।
जागरूकता और समय पर जांच का महत्व:
इस दुर्लभ मामले ने कैंसर के प्रति जागरूकता और समय पर जांच के महत्व को एक बार फिर रेखांकित किया है। डॉ. गर्ग ने इस बात पर प्रकाश डाला कि प्रारंभिक पहचान ही सफल उपचार की कुंजी है।
निदान की प्रक्रिया:
इस विशिष्ट मामले में, मरीज के बाएं स्तन में एक गांठ पाई गई थी। कैंसर की पहचान के लिए सबसे सरल और किफायती प्राथमिक जांच "फाइन नीडल एस्पिरेशन साइटोलॉजी (FNAC)" का उपयोग किया गया। यह एक उच्च तकनीकी जांच है जिसे पैथोलॉजी विशेषज्ञ डॉक्टर द्वारा किया जाता है, जिसमें गांठ से कोशिकाओं को निकालने के लिए एक पतली सुई का उपयोग किया जाता है। इसी जांच के माध्यम से मरीज में स्तन कैंसर का सफलतापूर्वक पता चला।
कैंसर: उम्र की कोई सीमा नहीं:
डॉ. गर्ग ने यह भी बताया कि कैंसर किसी भी उम्र में हो सकता है - युवाओं, मध्यम आयु वर्ग के लोगों और बुजुर्गों में भी। हालांकि, बढ़ती उम्र के साथ कैंसर का जोखिम बढ़ता जाता है।
"कैंसर मुक्त भारत" की ओर एक कदम:
इस दुर्लभ मामले के सामने आने के साथ, डॉ. गर्ग ने "कैंसर मुक्त भारत" के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए कैंसर के प्रति जागरूक रहने और समय पर जांच कराने की अपील की है। उनका मानना है कि जितनी जल्दी कैंसर का निदान होता है, उतनी ही जल्दी उसका प्रभावी इलाज शुरू हो सकता है, जिससे बेहतर परिणाम प्राप्त होते हैं। यह मामला चिकित्सा विज्ञान के लिए एक सीखने का अवसर और कैंसर अनुसंधान में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा।

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