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शुक्रवार, मई 23, 2025
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'जल गंगा संवर्धन अभियान': छतरपुर की सिंघाड़ी नदी में उमड़ा जनसैलाब, सामूहिक श्रमदान से मिली नई जान!
छतरपुर: जिला प्रशासन की अनूठी पहल 'जल गंगा संवर्धन अभियान' के तहत छतरपुर की जीवनदायिनी सिंघाड़ी नदी को पुनर्जीवित करने का महाअभियान आज सामूहिक श्रमदान के साथ शुरू हुआ। कलेक्टर पार्थ जैसवाल के निर्देशन में चलाए जा रहे इस अभियान के तहत, नगरपालिका अध्यक्ष श्रीमती ज्योति चौरसिया और सीएमओ श्रीमती माधुरी शर्मा के नेतृत्व में सैकड़ों हाथ सिंघाड़ी नदी के घाटों को साफ करने और जलकुंभी को हटाने के लिए एक साथ उठे। यह केवल सफाई अभियान नहीं, बल्कि नदी के प्रति सामाजिक जिम्मेदारी का एक अप्रतिम उदाहरण बन गया।
जब श्रम बना आस्था और चेतना
बुधवार को सिंघाड़ी नदी पर हुए इस भव्य श्रमदान कार्यक्रम में शहर के विभिन्न वर्गों से जुड़े लोग एकजुट हुए। विशेष रूप से राष्ट्रीय चेतना विकास मंच और परमार्थ संस्था की समर्पित जल सहेलियों की उपस्थिति ने कार्यक्रम को नई ऊर्जा दी। मंच संयोजक एवं पूर्व सीएमओ श्री डी.डी. तिवारी, पूर्व सीएमओ निरंजन बाजपेई व जगदीश मिश्रा, परमार्थ संस्था से परियोजना समन्वयक अपूर्वा मिश्रा, समाजसेवी के.एन. सोमन, पूर्व बैंक प्रबंधक राकेश शर्मा, नाथूराम साहू, दिल्लाराम अहिरवार, और स्वच्छता ब्रांड एंबेसडर आनंद शर्मा ने स्वयं श्रमदान कर मिसाल पेश की।
नगरपालिका के नोडल अधिकारी नीतेश चौरसिया और स्वच्छता निरीक्षक संजेश नायक सहित कर्मचारियों ने भी सक्रिय भूमिका निभाई। इस विशाल प्रयास से तीन ट्रॉली कचरा नदी से निकालकर कचरा प्रसंस्करण केंद्र भेजा गया, जिससे नदी के किनारे की तस्वीर पूरी तरह बदल गई। कबीर आश्रम के दुर्गा प्रसाद, सुरजीत कुमार, यशवेंद्र सिंह, राजेश अहिरवार, राकेश पांडेय, राम जानकी, पवन अहिरवार और सभी सफाई मित्रों के tireless efforts ने घाटों को चमका दिया। नदी घाट पर गंदे पानी के शुद्धिकरण के लिए चूने का छिड़काव भी किया गया, जो स्वच्छता के प्रति प्रशासन की गंभीरता को दर्शाता है।
नगरीय फॉरेस्ट का सपना, प्रकृति से जुड़ाव का नया अध्याय
इस सफाई अभियान के साथ ही एक और महत्वपूर्ण घोषणा की गई। विश्व पर्यावरण दिवस पर नगरपालिका सिंघाड़ी नदी के आसपास और दोनों किनारों पर एक नगरीय फॉरेस्ट (Urban Forest) विकसित करने की योजना का शुभारंभ करेगी। यह एक अभिनव पहल है जहाँ लोग अपने पूर्वजों की याद में, जन्मदिन पर या विवाह की वर्षगांठ पर पौधे लगा सकेंगे। यह न केवल हरियाली बढ़ाएगा, बल्कि लोगों को प्रकृति से भावनात्मक रूप से जोड़ने का भी एक अनूठा माध्यम बनेगा।
सिंघाड़ी नदी में हुआ यह सामूहिक श्रमदान छतरपुर जिले में 'जल गंगा संवर्धन अभियान' की सफलता की एक नई इबारत लिख रहा है। यह दिखाता है कि जब प्रशासन और समाज मिलकर काम करते हैं, तो कोई भी चुनौती बड़ी नहीं होती और प्रकृति का संरक्षण एक जन आंदोलन बन सकता है।
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