महोबा/महोबकंठ: महोबकंठ थाना क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले गांव मै परा राजोनी (Maipara Rajoni) में नदियों से अवैध बालू उत्खनन का कार्य धड़ल्ले से जारी है। सूत्रों के मुताबिक, बालू माफिया दिन-रात नदियों का सीना चीरकर 'लाल सोना' निकालने में लगे हुए हैं, जिससे राजस्व को लाखों का चूना लग रहा है और पर्यावरण को गंभीर क्षति पहुंच रही है।
नियमों की धज्जियां, खुलेआम चल रहा कारोबार
* जगह: महोबकंठ थाना क्षेत्र का गांव मै परा राजोनी (नदी घाट)
* गतिविधि: नदियों से जेसीबी/ट्रैक्टरों के माध्यम से अवैध बालू (रेत) का खनन और परिवहन।
* प्रभाव: नदी की धारा और जलस्तर प्रभावित, भू-जल स्तर पर खतरा।
स्थानीय ग्रामीणों का आरोप है कि अवैध उत्खनन करने वाले माफिया पूरी तरह बेखौफ हैं और उनका यह कारोबार स्थानीय प्रशासन व पुलिस की कथित 'मिलीभगत' के कारण बिना किसी रोक-टोक के चल रहा है।
पुलिस की भूमिका पर सवाल
सबसे गंभीर बात यह है कि इस अवैध कार्य की जानकारी होने के बावजूद स्थानीय पुलिस की ओर से कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं की जा रही है। ग्रामीणों का कहना है कि पुलिसकर्मी इन बालू से भरे वाहनों को देखकर भी अनदेखा कर देते हैं, जिससे माफियाओं के हौसले बुलंद हैं। पुलिस की यह 'मूकदर्शक' बनी रहने की भूमिका शासन की अवैध खनन रोकने की नीतियों पर सीधे सवाल खड़े करती है।
> 💬 क्षेत्रीय लोगों का कहना है कि बालू माफियाओं को स्थानीय पुलिस का कथित संरक्षण मिला हुआ है। इस कारण वे खुलेआम खनन कर रहे हैं और पर्यावरण तथा सरकारी राजस्व को भारी नुकसान पहुंचा रहे हैं।
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उच्चाधिकारियों से अपील
ग्रामीणों ने जिले के उच्चाधिकारियों (जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक) से इस मामले का तत्काल संज्ञान लेने और महोबकंठ पुलिस की भूमिका की जांच कर अवैध खनन में लिप्त माफियाओं के साथ-साथ लापरवाह पुलिसकर्मियों पर भी कड़ी कार्रवाई करने की मांग की है।
यह देखना होगा कि प्रशासन इस गंभीर मामले में कब और क्या कदम उठाता है, ताकि नदियों को और अधिक नुकसान होने से रोका जा सके।
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