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रविवार, अप्रैल 20, 2025
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मानवता शर्मसार! बुजुर्ग को घसीटने वाले डॉक्टर पर FIR दर्ज, कलेक्टर ने दिखाई सख्ती
नौगांव/छतरपुर। छतरपुर जिला अस्पताल में 77 वर्षीय बुजुर्ग के साथ अमानवीय व्यवहार करने वाले डॉक्टर राजेश मिश्रा के खिलाफ आखिरकार पुलिस ने FIR दर्ज कर ली है। नौगांव थाना पुलिस ने वायरल वीडियो के आधार पर भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 115(2) (लोक सेवक द्वारा कर्तव्य की उपेक्षा), 296 (लोक शांति भंग करना), अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम की धारा 3(1)(r) [अब 3(5)] (जाति के आधार पर अपमानित करना) और 351(3) (हमला या आपराधिक बल का प्रयोग) के तहत मामला दर्ज किया है।
यह कार्यवाही तब हुई जब 18 अप्रैल को घटित इस शर्मनाक घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया। वीडियो में डॉक्टर राजेश मिश्रा एक असहाय बुजुर्ग को बेरहमी से घसीटते और मारते हुए स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहे थे। इलाज के लिए अस्पताल पहुंचे बुजुर्ग के साथ डॉक्टर का यह बर्ताव देखकर आमजन में गहरा आक्रोश फैल गया था।
मामले की गंभीरता को देखते हुए नौगांव पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए जीरो पर FIR दर्ज की और आगे की जांच के लिए केस को कोतवाली थाना छतरपुर स्थानांतरित कर दिया है।
कलेक्टर की त्वरित और सख्त कार्यवाही:
इस घृणित घटना पर छतरपुर कलेक्टर पार्थ जैसवाल ने भी त्वरित और सख्त रुख अपनाया है। उन्होंने तत्काल तीन सदस्यीय जांच टीम गठित की, जिसके निष्कर्षों के आधार पर राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की मिशन संचालक हेल्थ डायरेक्टर सलोनी सिडाना ने डॉक्टर राजेश मिश्रा को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। डॉक्टर मिश्रा को 24 घंटे के भीतर संतोषजनक जवाब देने का निर्देश दिया गया है, अन्यथा उनकी सेवाएं समाप्त करने की चेतावनी दी गई है।
इतना ही नहीं, कलेक्टर ने इस मामले में लापरवाही बरतने के आरोप में सिविल सर्जन को भी नोटिस जारी किया है। इसके अतिरिक्त, कलेक्टर द्वारा मामले की जांच रिपोर्ट समय पर प्रेषित न करने पर डॉ. जी एल अहिरवार को भी लापरवाही का नोटिस दिया गया है और उन्हें 21 अप्रैल को पेश होने का आदेश दिया गया है।
कलेक्टर पार्थ जैसवाल की इस त्वरित और निर्णायक कार्रवाई से आमजन में न्याय की उम्मीद जगी है। यह घटना चिकित्सा पेशे को कलंकित करने वाली है और उम्मीद है कि इस मामले में सख्त कार्रवाई एक मिसाल बनेगी ताकि भविष्य में कोई भी व्यक्ति इस प्रकार का अमानवीय कृत्य करने की हिम्मत न कर सके। यह घटना यह भी दर्शाती है कि सोशल मीडिया की ताकत से किस प्रकार अन्याय के खिलाफ आवाज उठाई जा सकती है और दोषियों को कठघरे में लाया जा सकता है।
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