40 किलोमीटर का सफर तय कर 'रक्तवीर' मनीष साहू ने बचाई जान, दुर्लभ रक्त समूह दान कर दिखाई मानवता,

40 किलोमीटर का सफर तय कर 'रक्तवीर' मनीष साहू ने बचाई जान, दुर्लभ रक्त समूह दान कर दिखाई मानवता,

छतरपुर/नौगांव। इंसानियत का जज्बा और मदद का नेक इरादा किसी भी दूरी को कम कर सकता है, यह बात तब सच साबित हुई जब एक परेशान मरीज की जान बचाने के लिए एक रक्तदानी (Blood Donor) ने 40 किलोमीटर का लंबा सफर तय किया। नौगांव से आगे के एक छोटे से गांव के रहने वाले मनीष साहू ने जिला अस्पताल पहुंचकर अपना दुर्लभ रक्त समूह (Rare Blood Group) दान किया और साबित कर दिया कि 'इंसान वही है जो इंसानियत के नाते सबकी मदद करे।'
रक्तवीर सेवा दल के सदस्य अमित जैन ने इस पूरी घटना की जानकारी देते हुए बताया कि जिला अस्पताल में पुष्पेंद्र जैन नामक एक मरीज भर्ती थे, जिनका डायलिसिस (Dialysis) होना था। दुर्भाग्यवश, उनका ब्लड ग्रुप अत्यंत दुर्लभ था और कई दिनों से प्रयासों के बावजूद उन्हें रक्त नहीं मिल पा रहा था। मरीज के लिए यह स्थिति और भी गंभीर थी, क्योंकि उनकी पत्नी एकता जैन स्वयं कैंसर (Cancer) जैसी गंभीर बीमारी से जूझ रही हैं।
पत्नी एकता जैन ने अपनी व्यथा बताते हुए कहा, "हमारे ऊपर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा है। पति का डायलिसिस ज़रूरी है, पर ब्लड (रक्त) काफी दिनों से ढूंढ रहे हैं, मिल नहीं रहा है। आप ही मदद कीजिए।" उनकी इस भावनात्मक अपील पर 'रक्तवीर सेवा दल' ने तुरंत सक्रियता दिखाई।
इस मुश्किल घड़ी में, रक्तदानी मनीष साहू एक फरिश्ते की तरह आगे आए। नौगांव से आगे एक गांव में रहने वाले मनीष ने न केवल तुरंत सहमति दी, बल्कि मरीज की जान बचाने की तात्कालिकता को समझते हुए 40 किलोमीटर की दूरी बाइक या अन्य साधन से तय कर जिला अस्पताल छतरपुर पहुंचे और अमूल्य जीवनदान दिया। उनका यह कार्य निस्वार्थ सेवा और समर्पण का उत्कृष्ट उदाहरण है।
रक्तदान करने के बाद मनीष साहू ने एक मार्मिक संदेश दिया कि "हम इंसान हैं और इंसान वही है जो इंसानियत के नाते सबकी मदद करे।" उनके इस नेक कार्य के लिए ब्लड बैंक प्रभारी डॉ. आरती बजाज ने उन्हें प्रशस्ति पत्र (Certificate of Appreciation) प्रदान कर सम्मानित किया और उनके इस महान प्रयास की सराहना की। मनीष साहू का यह कदम बताता है कि सच्ची दौलत धन नहीं, बल्कि दूसरों के काम आने का जज्बा है।
'मुसीबतों का पहाड़' टूटने के बावजूद नहीं हारी उम्मीद, 40 KM का सफर तय कर मनीष साहू ने दिया दुर्लभ रक्त
छतरपुर। जिला अस्पताल छतरपुर में मानवता और निस्वार्थ सेवा का एक प्रेरणादायक उदाहरण सामने आया है, जहाँ एक रक्तदानी ने 40 किलोमीटर की लंबी दूरी तय करके एक बेहद परेशान और असहाय मरीज को जीवनदान दिया। इस नेक कार्य ने यह सिद्ध कर दिया कि इंसानियत का भाव किसी भी विषम परिस्थिति से बड़ा होता है।
दुर्लभ रक्त समूह की तलाश में कई दिनों से भटक रहे पुष्पेंद्र जैन के लिए यह समय अत्यंत कठिन था। उन्हें तत्काल डायलिसिस के लिए रक्त की आवश्यकता थी, लेकिन उनका ब्लड ग्रुप आसानी से उपलब्ध नहीं हो पा रहा था। इससे भी बड़ी त्रासदी यह थी कि उनकी पत्नी, एकता जैन, स्वयं कैंसर जैसी गंभीर बीमारी का सामना कर रही हैं। अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए एकता जैन ने बताया था कि उनके ऊपर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा है और उन्होंने 'रक्तवीर सेवा दल' से मदद की गुहार लगाई थी।
'रक्तवीर सेवा दल' के कर्मठ सदस्य अमित जैन ने बताया कि उनकी टीम ने तुरंत मदद का आश्वासन दिया और रेयर ब्लड ग्रुप वाले रक्तदानी की तलाश शुरू की। इस तलाश को विराम दिया मनीष साहू ने, जो नौगांव से भी 40 किलोमीटर दूर एक गांव में रहते हैं। मनीष साहू ने जैसे ही मरीज की विकट स्थिति के बारे में सुना, उन्होंने बिना एक पल की देरी किए 40 किलोमीटर का सफर तय किया और जिला अस्पताल पहुँचकर अपना अमूल्य रक्तदान किया।
मनीष साहू ने रक्तदान करते हुए समाज को एक महत्वपूर्ण संदेश दिया कि "हम इंसान हैं और इंसान वही है जो इंसानियत के नाते सबकी मदद करे।" उनका यह प्रयास दिखाता है कि जीवन की सबसे बड़ी पूंजी, मानव सेवा है। उनके इस अतुलनीय सहयोग से न सिर्फ पुष्पेंद्र जैन का डायलिसिस संभव हो पाया, बल्कि उनकी कैंसर पीड़ित पत्नी एकता जैन को भी एक बड़ी राहत मिली।
ब्लड बैंक की प्रभारी डॉ. आरती बजाज ने मनीष साहू के इस बलिदान और निस्वार्थ सेवा की सराहना करते हुए उन्हें प्रशस्ति पत्र प्रदान कर सम्मानित किया। डॉ. बजाज ने कहा कि मनीष साहू जैसे रक्तदानी समाज के लिए मिसाल हैं और यह सिद्ध करते हैं कि मानवीय संबंध किसी भी भौतिक दूरी से अधिक मजबूत होते हैं।

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