अब कौन मुझे राह दिखाएगा?

वह साया जो अब ओझल है: कुलदीप वर्मा,


आज, यह संसार करोड़ों-अरबों की भीड़ नहीं लगता, पापा जी। यह तो एक विशाल और वीरान जंगल है—जहाँ हर चेहरा, हर आवाज़, एक जंगली जानवर की दहाड़ प्रतीत होती है। 

मैं अकेला खड़ा हूँ, उस पीपल की छाँव से वंचित, जिसके नीचे खड़े होकर मैं कभी डरना भूला था। आपका छोड़कर जाना... यह ऐसा है, जैसे किसी ने चलती हुई साँस को बीच में ही रोक दिया हो।

अभी कुछ ही दिन तो हुए थे—3 सितंबर को हमने आपका 90वाँ जन्मदिवस मनाया था। उस दिन की हँसी, वह उत्सव, वह आपकी आँखों की गर्व और स्नेह से भरी चमक... वह सब मेरे हृदय में एक अमिट चित्र है। और उस चमक के ठीक दस दिन बाद आ गई 13 सितंबर 2025 की वह काली रात—जिसने मेरी दुनिया ही उलट दी।
मुझे वह दृश्य कभी नहीं भूलेगा, पापा जी। आपके देवलोक गमन के दिन... आपके चेहरे पर मैंने ही अंतिम बार उस्तरा चलाया था। आपकी दाढ़ी हमने बनाई थी, पिताजी। वह क्षण कितना कोमल और कितना पवित्र था! आप कितने शांत, कितने दिव्य लग रहे थे उस समय। जब मुहल्ले के लोग बोले, "बाबू जी तो पहले से कितने अच्छे लगने लगे हैं," तो हम सब ने इसे एक मीठा संयोग माना। हमें क्या पता था कि वह सौंदर्य इस नश्वर देह से विदा लेने की अंतिम तैयारी थी, हमें इस भीड़-भाड़ की दुनिया में अकेला छोड़ जाने का संकेत था।
और जब आपने अंतिम श्वास ली... कानों में वह अंतिम ध्वनि गूँजी—आपका "सीता राम" बोलना। वह केवल दो शब्द नहीं थे; वह था आपका अंतिम कवच, आपका अंतिम आशीर्वाद, जो आज भी मेरे कानों में एक अधूरी धुन की तरह गूँजता है। वह ध्वनि, वह चेहरा, वह कोमल स्पर्श... सब कुछ मेरी आत्मा में एक स्थायी घाव बन गया है, जो कभी भरता नहीं।
अब कौन मुझे राह दिखाएगा? कौन मेरे सर पर प्यार से हाथ फेरेगा? जब भी कोई मुश्किल आती थी, जब भी कोई विरोधी सामने खड़ा होता था, तो मुझे केवल आपका नाम याद आता था। आपका नाम, पापा जी, मेरे लिए सौ विरोधियों से अकेले लड़ने का सहारा था। वह नाम आज भी मेरे होंठों पर है, पर वह शक्ति कहाँ से लाऊँ, जो आपकी उपस्थिति से मिलती थी?

काश, आप हम सबके साथ होते! काश, आप वापस आ सकते!

आपका हर शब्द, आपका हर संस्कार—एक अनमोल विरासत है। आपका जीवन: जन्म 3 सितंबर 1936 से पुण्यतिथि 13 सितंबर 2025 तक—मेरे लिए साहस और प्रेम का सबसे बड़ा ग्रंथ है। मैं इस जंगल में अकेला हूँ, पर आपके दिए हुए बल से लड़ूँगा। आपकी यादें मेरी मशाल हैं।
आप हमेशा मेरे नायक रहेंगे, पापा जी।
मिस यू, बहुत मिस यू।


कुलदीप वर्मा बुन्देली न्यूज,
9171982882

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