ग्राम सौरा से चित्रकूट धाम तक 210 किमी की दण्डवत यात्रा: भक्ति और आस्था का अनोखा संगम
सौरा महोबा जिला, 6 सितंबर 2025 - बुंदेलखंड की पावन धरती पर आज आस्था और भक्ति का एक अद्भुत नजारा देखने को मिला। महोबा जिले के ग्राम सौरा जंगल कुते से, रामजीदास महंत जी के नेतृत्व में, सैकड़ों भक्तों ने भगवान कामतानाथ की नगरी चित्रकूट धाम के लिए 210 किलोमीटर की दण्डवत यात्रा का शुभारंभ किया। यह यात्रा आज, पूर्णिमा के शुभ अवसर पर प्रारंभ हुई है, जो भक्तों की अटूट श्रद्धा और समर्पण को दर्शाती है।
दण्डवत यात्रा का महत्व
दण्डवत यात्रा, जिसमें भक्त दंड की तरह लेटकर पूरी दूरी तय करते हैं, एक अत्यंत कठिन धार्मिक अनुष्ठान है। यह शरीर और मन दोनों की सीमाओं को चुनौती देती है। इस यात्रा का उद्देश्य न केवल आध्यात्मिक शुद्धि है, बल्कि यह भक्तों की भक्ति की पराकाष्ठा का भी प्रतीक है। रामजीदास महंत जी, जो बुंदेलखंड की समृद्ध धार्मिक परंपराओं के संरक्षक माने जाते हैं, ने इस यात्रा के माध्यम से समाज में धर्म और आस्था का संदेश फैलाने का बीड़ा उठाया है।
एकता और भाईचारे का संदेश
इस यात्रा में केवल महोबा ही नहीं, बल्कि आसपास के कई जिलों से भी धर्मप्रेमी बंधु शामिल हुए हैं। यह यात्रा बिना किसी भेदभाव के सभी धर्मों और समुदायों के लोगों को एक साथ लाती है, जो आपसी सद्भाव और भाईचारे का एक सशक्त उदाहरण प्रस्तुत करती है। यात्री दिन-रात, कठिन परिस्थितियों में भी, जयकारे लगाते हुए और भजन गाते हुए आगे बढ़ रहे हैं, जिससे पूरे मार्ग पर एक सकारात्मक और आध्यात्मिक माहौल बना हुआ है।
कामतानाथ की नगरी में होगा समापन
210 किलोमीटर की यह कठिन यात्रा चित्रकूट धाम में स्थित कामतानाथ पर्वत की परिक्रमा के साथ समाप्त होगी। चित्रकूट, जिसे भगवान राम की तपोभूमि माना जाता है, भारतीय संस्कृति और धर्म का एक महत्वपूर्ण केंद्र है। इस यात्रा का समापन उस पवित्र स्थान पर होगा जहां भगवान राम ने अपने वनवास का एक महत्वपूर्ण समय बिताया था। यह यात्रा न केवल एक धार्मिक क्रिया है, बल्कि यह बुंदेलखंड की समृद्ध आध्यात्मिक विरासत को भी पुनर्जीवित करती है।
इस दण्डवत यात्रा को देखने के लिए रास्ते में हजारों की संख्या में लोग इकट्ठा हो रहे हैं, जो इन भक्तों के समर्पण को देखकर भावुक हो रहे हैं। यह यात्रा इस बात का प्रमाण है कि आज भी भारतीय समाज में धर्म और आस्था की जड़ें कितनी गहरी हैं।
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